रघुनाथपुर प्रखंड के राजपुर खेल मैदान के परिसर में स्थित पंचायत समिति सदस्य प्रतिनिधि सुरेश कुशवाहा जी के आवास पर सुजीत कुशवाहा की अध्यक्षता में भारत लेनिन श्री बाबू जगदेव प्रसाद कुशवाहा की 50वीं शहादत दिवस मनाई गई। जिसमें मुख्य अतिथि दुरौंधा विधानसभा के भावी प्रत्याशी विजय सिंह कुशवाहा, विशिष्ठ अतिथि आंदर नगर परिषद अध्यक्ष के प्रतिनिधि पिंटू कुशवाहा थे।
सभा को संबोधित करते हुए विजय सिंह कुशवाहा ने कहा की जगदेव बाबू ने शोषितों और वंचितों की लड़ाइयां लड़ी ।जब वे शिक्षा हेतु घर से बाहर रह रहे थे, उनके पिता अस्वस्थ रहने लगे। जगदेव जी की माँ धार्मिक स्वाभाव की थी। जगदेव जी ने तमाम घरेलू झंझावतों के बीच उच्च शिक्षा ग्रहण किया। पटना विश्वविद्यालय से स्नातक तथा परास्नातक उत्तीर्ण किया। वही उनका परिचय चन्द्रदेव प्रसाद वर्मा से हुआ। चंद्रदेव ने जगदेव बाबू को विभिन्न विचारको को पढने, जानने-सुनने के लिए प्रेरित किया। अब जगदेव जी ने सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया और राजनीति की तरफ प्रेरित हुए। इसी बीच वे शोसलिस्ट पार्टी से जुड़ गए और पार्टी के मुखपत्र ‘जनता’ का संपादन भी किया। एक संजीदा पत्रकार की हैसियत से उन्होंने दलित-पिछड़ों-शोषितों की समस्याओं के बारे में खूब लिखा तथा उनके समाधान के बारे में अपनी कलम चलायी। 1955 में हैदराबाद जाकर अंग्रेजी साप्ताहिक ‘सिटिजेन’ तथा हिन्दी साप्ताहिक ‘उदय’ का संपादन आरभ किया। प्रकाशक से भी मन-मुटाव हुआ लेकिन जगदेव बाबू ने अपने सिद्धान्तों से कभी समझौता नहीं किया। संपादक पद से त्यागपत्र देकर पटना वापस लौट आये और समाजवादियों के साथ आन्दोलन शुरू किया।बिहार में उस समय समाजवादी आन्दोलन की बयार थी, लेकिन जे.पी. तथा लोहिया के बीच सद्धान्तिक मतभेद था। जब जे. पी. ने राम मनोहर लोहिया का साथ छोड़ दिया तब बिहार में जगदेव बाबू ने लोहिया का साथ दिया। उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत किया और समाजवादी विचारधारा का देशीकरण करके इसको घर-घर पहुंचा दिया।जगदेव बाबू ने 1967 के विधानसभा चुनाव में संसोपा (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी), 1966 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और सोशलिस्ट पार्टी का एकीकरण हुआ था) के उम्मीदवार के रूप में कुर्था में जोरदार जीत दर्ज की। उनके अथक प्रयासों से स्वतंत्र बिहार के इतिहास में पहली बार ‘संविद सरकार ‘ बनी तथा महामाया प्रसाद सिन्हा को मुख्यमंत्री बनाया गया। जगदेव बाबू तथा कर्पूरी ठाकुर की सूझ-बूझ से पहली गैर-कांग्रेस सरकार का गठन हुआ, लेकिन पार्टी की नीतियों तथा विचारधारा के मसले लोहिया से अनबन हुयी और ‘कमाए धोती वाला और खाए टोपी वाला’ की स्थिति देखकर संसोपा छोड़कर 25 अगस्त 1967 को ‘शोषित दल नाम की ओर पार्टी बनाई ।
सौ में नब्बे शोषित है,नब्बे भाग हमारा है।
वही पिंटू कुशवाहा ने कहा नफरत के सौदागर नहीं हम मानवता के वादे हैं हम गर्व से कहते हैं कि हम जगदेववादी है,जगदेव वादी है।60 एवं 70 के दशक में पूरे भारत भर में ऐतिहासिक परिवर्तन हुए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जहां हमने पाकिस्तान के दो टुकड़े किए तो वहीं राष्ट्रीय स्तर पर हरित क्रांति को अपने देश में पंजाब हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सफलतापूर्वक लागू किए तो वही बिहार की परिपेक्ष में अगर बात करें तो कई तरह के क्रांतिकारी बदलाव सामने आते हैं 1970 आते-आते भिखारी ठाकुर समाज में सांस्कृतिक बदलाव ला चुके थे तमाम तरह की कुरीतियां को मिटाने के लिए उन्होंने अपने नाटक गीत संगीत के माध्यम से लोगों में जागरूकता लाने का काम किया तो वही सामंतियों के खिलाफ जगदेव प्रसाद और जगदीश मास्टर समेत तमाम लोगों ने बिगुल फूंका था। बिहार में बहुत बड़े बदलाव 1970 के आसपास देखा जा सकता है जमींदारी प्रथा के तहत जो गरीब वंचित तबका था उसे प्रताड़ित करने की जो परंपरा थी उसके विरुद्ध जगदेव बाबू , जगदीश मास्टर, रामेश्वर यादव ,रामनरेश राम, विनोद मिश्रा,नागभूषण पटनायक समेत लोगों ने जबरदस्त जन संघर्ष किया , आज भी जब भी किसी वंचित तबके के लिए आवाज उठाने की बात होती है बिना जगदेव प्रसाद के नाम लिए बातों को पूरा नहीं किया जा सकता।
इस मौके पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा का प्रखंड अध्यक्ष सुजीत कुमार कुशवाहा, दिलीप कुशवाहा, मनोज कुशवाहा, देवेंद्र शर्मा,राजू यादव,विजय भगत,सहित अन्य लोग मौजूद रहे।